Monday, 13 July 2015

miss u...!



आज मेरे सपनों में फिर तुम आये थे
मुझे छू के अपने हाथों से मुस्काये थे
कितना मेरा मन था कि तुम कुछ बात करो
फिर से रोशन हम सब के तुम दिन रात करो

जब से हो गए तुम, सूना घर का आँगन है
चंदा के बिना खाली सा सारा आनन है
तारों में तुमको ढूंढा है , मैंने हर रात
अक्सर महसूस किया है, वो प्यारे नरम से हाथ

जब भी सपनों में ऐसे छू के जाते हो
आँखें खुलने पर याद बहुत तुम आते हो…

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