(courtesy: http://smsinhindi.net/wp-content/uploads/2012/06/A-Sad-Girl-Photo.jpg)
फिर आज है मन कुछ उखड़ा-सा, कहता भी नहीं कि बात है क्या
फिर किसी के तीखे वाणों से,पंहुचा तुझको आघात है क्या?
इस दुनिया की बातों से यूँ तू क्यूँ हो जाता है बेकल ..
है कितनी बार कहा तुझसे, तू लक्ष्य को देखा कर केवल
है जग की तो बस रीत यही, दूजे हैं गलत, बस आप सही
निष्ठुर शब्दों, आक्षेपों से, होना तुझको है व्यग्र नहीं ..
इन व्यर्थ ज़रा सी बातों पर, यूँ तेरा गिरना अनुचित है
इन घावों को प्रेरक ही समझ,ये घाव नहीं, ये अमृत हैं,
इन बड़े बड़े उपदेशों से, मैंने मन को उत्साह दिया
नासमझ, बावरे मन ने मेरे, पर मुझसे तब ये प्रश्न किया
कोई तो हो, जो ये सोचे, क्या मुझको अच्छा लगता है।
यूँ तो कितनी ही बार मुझे, बस जीना-मरना पड़ता है
ये बेगाने और अपने से, हैं शब्द बने बोलो क्यूँ कर,
जब सबको ही दुःख देना है, तो साथ है क्या और क्या है घर?
इस अप्रत्याशित प्रश्न का तब, उत्तर क्या हो सूझा न मुझे
मैं भी थी खड़ी उखड़ी उखड़ी , इस मन ने लिया उलझा ही मुझे
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