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आज सितम्बर नौ है, तेरा जन्मदिवस ‘अभिनव’ है
तू नहीं उपस्थित यहाँ किन्तु तेरी स्मृतियों का अर्नव है
है याद मुझे वो प्रथम घड़ी, जब तुमने, अपनी आँखें खोली थीं
जब लिया था पहली बार अंक में, मैं ना कुछ बोली थी
बस देखा था वो बड़े नैन और मधुर मधुर सी मुस्कान
तेरी उन प्यारी अँगुलियों से, दिन भर मैं खेली थी
माँ के दिल के टुकड़े थे तुम, पापा की आँख के तारे
घर में सबसे छोटे थे तुम, हम सबको सबसे प्यारे
कलेजा कटता है तस्वीर देख, पापा ये अक्सर कहते हैं.
माँ तो कुछ कह पाती ही नहीं, सब अश्रु ही कह देते हैं.
ये नहीं जानना है मुझको, संजोग था ये या था प्रारब्ध
बीत गए हैं वर्ष चार, पर अब तक भी मेरा मन है स्तब्ध
सब कुछ इन आँखों ने देखा था, पर विश्वास नहीं होता जैसे
एक बार तुम्ही बतला देते, ये हुआ क्यूँ, ये हुआ कैसे
ईश्वर ने कैसे स्वीकार किया, था हुआ क्यूँ इतना काल क्रूर
एक घर के राज-दुलारे को पल भर में कर दिया सबसे दूर
क्षण भर के लिए भी मिल न सको, क्यूँ इतनी दूर तुम चले गए
हम सब तो तुमसे बड़े थे न, क्यूँ यूँ तुम पहले चले गए
कितनी ही बातें हैं कहनी, तुम याद बहुत आते हो
तुम भी तो कुछ बोलो बस, तस्वीरों में मुस्काते हो
जी करता है तुमको दूँ मैं, फिर जन्म दिवस की बधाई
पर दृष्टि पटल पर वो दृश्य है अंकित, जब दी थी तुम्हे विदाई
सोलह वर्षों का प्रेम था वो, सोलह जन्मों का जैसे नाता
उस स्नेहमयी स्पर्श को कैसे मेरा मन बिसरा पाता
सब कुछ करने में समर्थ है तो क्यूँ असहाय मानव है
एक बार तुम्हे मिलना, छूना क्यूँ होता नहीं संभव है
अभी आया था फिर रक्षा बंधन, फिर आंसूं न थमे थे
घर में भी था इक सन्नाटा सा, सब सहमे सहमे थे
मैंने फिर चंदा से तुमको अपना संदेशा कहलाया था
बहना करती है याद तुम्हे शायद वो कह के आया था
वो बैग तुम्हारा, किताब कापियां, कपड़े सब रखे हैं
हर बार है माँ रोया करती, जब जब वो सब देखे हैं
सोचा था नहीं बताऊंगी, तुमको ये सारी बातें
अनजाने में दे ही बैठी, दुःख की तुमको सौगातें
हर बार कई दिन पहले तुम हम सब से कहा करते थे
क़ि ले आयें उपहार तुम्हारा, हमारे भूलने से डरते थे
इस बार तुम्हारे जन्म दिवस पर, तुम ही दे दो हमको उपहार
आकर सपनो में ही चाहे, कर लो हमसे बातें दो -चार
खुश रहो सदा तुम खिले रहो जिस भी गुलशन के बनो फूल
ये यादें भी प्यारी हैं हमको, नहीं समझना इनको शूल
आज सितम्बर नौ है, तेरा जन्मदिवस ‘अभिनव’ है
तू नहीं उपस्थित यहाँ किन्तु तेरी स्मृतियों का अर्नव है
this is my most fav.
ReplyDeleteI hv written it on September 9, 2012..
ReplyDeleteThanks a lot friends for giving me ur invaluable votes!!!!!!!!!
ReplyDeleteThis poem is really very nice...it touches my heart every time (whenever i read it,and my eyes become wet.if i truely said,i have no words to explain the feeling of this poem.
ReplyDeleteThanks a lot Atul! ...Baat jo dil se nikalti hai, asar rakhti hai!!!
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